Bihar में 100 साल बाद भूमि Survey : जानें 22 फरवरी की डेडलाइन का मतलब

बिहार में जमीन सर्वे का काम तेजी से चल रहा है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग जमीन के रिकॉर्ड को दुरुस्त करने के लिए लगातार प्रयासरत है। इस सर्वे का उद्देश्य भूमि विवादों को कम करना, सरकारी जमीन पर कब्जों का पता लगाना और जमीन की खरीद-बिक्री को आसान बनाना है।

राज्य सरकार ने जमीन सर्वेक्षण को 2026 के मध्य तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। यह सर्वेक्षण 100 साल से भी ज्यादा समय बाद हो रहा है। विभाग ने रैयतों (जमीन मालिकों) को 22 फरवरी 2025 से पहले स्व-घोषणा (self-declaration) जमा करने का निर्देश दिया है।

बिहार भूमि सर्वेक्षण 2025: मुख्य जानकारी

पहलूविवरण
सर्वेक्षण का नामबिहार विशेष भूमि सर्वेक्षण
उद्देश्यभूमि रिकॉर्ड को दुरुस्त करना
अंतिम तिथिजुलाई 2026
स्व-घोषणा की अंतिम तिथि22 फरवरी 2025
विभागराजस्व एवं भूमि सुधार विभाग
रैयतों के लिएस्व-घोषणा जमा करना अनिवार्य

बिहार जमीन सर्वे 2025 क्या है? (What is Bihar Land Survey 2025?)

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बिहार विशेष भूमि सर्वेक्षण बिहार सरकार द्वारा शुरू किया गया एक व्यापक अभियान है। इसका लक्ष्य राज्य की सभी जमीनों का विस्तृत और सटीक सर्वेक्षण करना है। इस सर्वेक्षण के माध्यम से जमीन के रिकॉर्ड को अपडेट किया जाएगा। इससे जमीन से जुड़े विवादों का समाधान होगा और भविष्य में होने वाली जमीन संबंधी समस्याओं को रोका जा सकेगा। सर्वेक्षण में पूर्वजों के नाम से चले आ रहे खतियान, रजिस्ट्री डीड व जमीन को उत्तराधिकारी के नाम से अलग-अलग खाता खोला जाएगा। इसके साथ ही जमीन का मानचित्र भी अपडेट किया जाएगा।

बिहार भूमि सर्वेक्षण के मुख्य उद्देश्य (Main Objectives of Bihar Land Survey)

  • पुराने और अधूरे भूमि अभिलेखों को आधुनिक तकनीक से अद्यतन करना।
  • भूमि सीमा विवाद, स्वामित्व विवाद और अन्य संबंधित विवादों का समाधान करना।
  • भूमि उपयोग नियोजन और कृषि, उद्योग और अन्य गतिविधियों के लिए भूमि के उचित आवंटन के लिए सर्वेक्षण डेटा का उपयोग करना।
  • सटीक भूमि अभिलेखों से राजस्व संग्रह में सुधार।
  • विकास कार्यों के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पारदर्शी और कुशल बनाना।

रैयतों के कर्तव्य (Duties of Tenants)

रैयतों को 22 फरवरी से पहले स्व-घोषणा जमा करनी होगी। स्व-घोषणा जमा न करने पर परेशानी हो सकती है।

बिहार भूमि सर्वेक्षण के फायदे (Benefits of Bihar Land Survey)

  • सभी जमीन मालिक की जमीन को अलग-अलग करके उनके नाम पर चढ़ाना।
  • जमीनी विवाद की स्थिति कम होना।
  • जमीन के असली मालिक कौन है, इसके बारे में पूरी जानकारी साफ होना।

रैयतों के लिए निर्देश (Instructions for Tenants)

विभाग के अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिया है कि सभी रैयत को फरवरी माह के अंतिम सप्ताह से पहले अपना स्व-घोषणा प्रमाण पत्र जमा करना पड़ेगा। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इसे लेकर एडवाइजरी भी जारी कर दी है।

सर्वे में जमीन की प्रकृति (Nature of Land in Survey)

अगर किसी जमीन पर कोई इमारत, कच्चा मकान, स्कूल, अस्पताल, किसी तरह का केंद्र, तालाब, झील, जंगल, पेड़-पौधे, बगीचा, कुआं, नहर, पठार या कोई अन्य संरचना है तो उसका स्पष्ट उल्लेख होगा। साथ ही यह भी दर्ज होगा कि जमीन खाली है, खेती योग्य है, बंजर है या रेतीली है, ऐसी जानकारी भी होगी। जमीन की प्रकृति यानी सरकारी या निजी के अलावा उसे गैर-खेती योग्य, आम, खास आदि के आधार पर वर्गीकृत करने के साथ ही इन विभिन्न विशेषताओं का भी सर्वेक्षण में विशेष रूप से वर्णन किया जाएगा।

ऑनलाइन आवेदन (Online Application)

जो व्यक्ति जहां हैं, वहीं से जमीन सर्वे के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए कार्यालय आने की जरूरत नहीं है। भूमि सर्वेक्षण कराने के लिए सभी भूस्वामियों को दो फॉर्म भरना अनिवार्य है। इसमें पहला फॉर्म स्वघोषणा प्रपत्र 2 और वंशावली प्रपत्र 3 (1) है। इस फॉर्म को ध्यान से भरें और सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ इसे जमा कर दें।

Disclaimer: यह लेख विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। बिहार भूमि सर्वेक्षण के नियम और शर्तें समय-समय पर बदल सकती हैं। आधिकारिक और नवीनतम जानकारी के लिए बिहार सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।

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