भारत में बैंकिंग प्रणाली को सुरक्षित और ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कई नियम और प्रावधान बनाए हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण प्रावधान डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के तहत जमा राशि का बीमा है। यदि किसी बैंक का संचालन बंद हो जाता है या वह दिवालिया हो जाता है, तो खाताधारकों को उनकी जमा राशि पर एक निश्चित सीमा तक क्लेम दिया जाता है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि बैंक बंद होने की स्थिति में खाताधारकों को कितना क्लेम मिलेगा, DICGC बीमा कैसे काम करता है, और किन शर्तों के तहत यह बीमा लागू होता है। साथ ही, यह भी समझेंगे कि RBI द्वारा निर्धारित नियमों का पालन कैसे किया जाता है।
DICGC बीमा और इसकी सीमा
विशेषता | विवरण |
---|---|
बीमा प्रदाता | डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) |
अधिकतम बीमा सीमा | ₹5 लाख |
लागू खाताधारक | बचत खाता, चालू खाता, सावधि जमा (Fixed Deposit), पुनरावर्ती जमा |
लागू नहीं | म्यूचुअल फंड, डिबेंचर, सरकारी बॉन्ड |
बीमा शुल्क | बैंक द्वारा भुगतान किया जाता है |
₹5 लाख तक का बीमा कैसे काम करता है?
RBI के नियमों के अनुसार, यदि कोई बैंक बंद हो जाता है या दिवालिया हो जाता है, तो DICGC खाताधारकों को उनकी जमा राशि पर अधिकतम ₹5 लाख तक का बीमा प्रदान करता है। इसमें मूलधन और ब्याज दोनों शामिल होते हैं। उदाहरण के लिए:
- यदि किसी ग्राहक के खाते में ₹3 लाख जमा हैं, तो उसे पूरी राशि वापस मिलेगी।
- यदि किसी ग्राहक के खाते में ₹10 लाख जमा हैं, तो उसे केवल ₹5 लाख तक का क्लेम मिलेगा।
DICGC बीमा किन खातों पर लागू होता है?
DICGC बीमा निम्नलिखित प्रकार के खातों पर लागू होता है:
- बचत खाता (Savings Account): व्यक्तिगत बचत खातों पर यह बीमा लागू होता है।
- चालू खाता (Current Account): व्यापारिक लेनदेन वाले चालू खाते भी इस दायरे में आते हैं।
- सावधि जमा (Fixed Deposit): फिक्स्ड डिपॉजिट पर भी यह बीमा लागू होता है।
- पुनरावर्ती जमा (Recurring Deposit): मासिक या वार्षिक आधार पर किए गए जमा भी कवर होते हैं।
किन मामलों में DICGC बीमा लागू नहीं होता?
DICGC बीमा निम्नलिखित मामलों में लागू नहीं होता:
- म्यूचुअल फंड, डिबेंचर और सरकारी बॉन्ड
- विदेशी मुद्रा खाते
- बैंक द्वारा जारी किए गए क्रेडिट इंस्ट्रूमेंट्स
DICGC क्लेम प्रक्रिया
यदि कोई बैंक बंद हो जाता है, तो खाताधारकों को निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करना होगा:
- बैंक की घोषणा: RBI उस बैंक को “डिफॉल्टर” घोषित करता है।
- बीमा आवेदन: बैंक की ओर से DICGC को क्लेम आवेदन भेजा जाता है।
- डाटा सत्यापन: DICGC खाताधारकों की सूची और उनकी जमा राशि का सत्यापन करता है।
- भुगतान: सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद DICGC सीधे खाताधारकों को भुगतान करता है।
पहले कितना था बीमा?
साल 2020 से पहले, DICGC द्वारा अधिकतम ₹1 लाख तक का ही बीमा प्रदान किया जाता था। लेकिन ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसे बढ़ाकर ₹5 लाख कर दिया गया। अब सरकार इस सीमा को और बढ़ाने पर विचार कर रही है ताकि ग्राहकों को अधिक सुरक्षा मिल सके।
हालिया घटनाएँ
हाल ही में न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक घोटाला सामने आया था। इस मामले में RBI ने बैंक के संचालन पर रोक लगा दी और ग्राहकों को केवल ₹5 लाख तक की राशि निकालने की अनुमति दी। इस घटना ने एक बार फिर DICGC बीमा की प्रासंगिकता को उजागर किया।
ग्राहकों को क्या करना चाहिए?
यदि आपका पैसा किसी ऐसे बैंक में जमा है जो वित्तीय संकट का सामना कर रहा है, तो आपको निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
- अपने खाते की स्थिति की जांच करें।
- आवश्यक दस्तावेज तैयार रखें।
- डिजिटल लेनदेन सेवाओं का उपयोग करें।
- RBI और DICGC से संपर्क करें।
Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। DICGC बीमा और RBI नियम समय-समय पर बदल सकते हैं। इसलिए, किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले आधिकारिक स्रोत से जानकारी प्राप्त करें। यदि आपका पैसा किसी संकटग्रस्त बैंक में फंसा हुआ है, तो धैर्य रखें और संबंधित प्राधिकरण से संपर्क करें।