आजकल, कई लोगों के एक से अधिक बैंक खाते होते हैं। कुछ लोग नौकरी बदलने पर नया खाता खुलवा लेते हैं, जबकि कुछ लोग अलग-अलग जरूरतों के लिए कई खाते रखते हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि एक से अधिक बैंक खाते रखने से आपको नुकसान भी हो सकता है? कई खाते होने से आप पर बेवजह चार्ज लग सकते हैं, आपका सिबिल स्कोर (CIBIL Score) खराब हो सकता है और टैक्स भरने में भी दिक्कतें आ सकती हैं।
इसलिए, यह जानना जरूरी है कि एक से अधिक बैंक खाते रखने के क्या नुकसान हैं और आपको कितने खाते रखने चाहिए। इस लेख में, हम एक से अधिक बैंक खातों से होने वाले नुकसानों के बारे में विस्तार से जानेंगे ताकि आप यह तय कर सकें कि आपके लिए कितने खाते सही हैं।
एक से अधिक बैंक खातों के नुकसान
नुकसान | विवरण |
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मिनिमम बैलेंस का झमेला | हर खाते में मिनिमम बैलेंस रखना होता है, जिससे बड़ी रकम फंस जाती है |
एक्स्ट्रा चार्जेज | सालाना मेंटेनेंस फीस, सर्विस चार्ज, क्रेडिट/डेबिट कार्ड चार्ज देने होते हैं |
क्रेडिट स्कोर पर असर | इनएक्टिव अकाउंट होने या मिनिमम बैलेंस मेंटेन न करने पर क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है |
टैक्स भरने में दिक्कत | ज्यादा अकाउंट होने पर कागजी कार्रवाई बढ़ जाती है और सभी जानकारियों को जुटाना मुश्किल होता है |
जालसाजी की संभावना | निष्क्रिय खातों में जालसाजी की संभावना अधिक होती है |
मैनेज करना मुश्किल | हर अकाउंट का बैलेंस, लेनदेन और स्टेटमेंट संभालना जटिल हो जाता है |
मिनिमम बैलेंस का झमेला (Minimum Balance Issue)
एक से ज्यादा बैंकों में अकाउंट होने से आपको हर अकाउंट को मेंटेन करने के लिए उसमें एक तय राशि (Minimum Balance) रखनी होती है. इससे आपकी बड़ी रकम बैंकों में ही फंसी रह जाती है. सेविंग अकाउंट में रखी इस राशि पर आपको ज्यादा से ज्यादा 4 से 5 फीसदी ही सालाना रिटर्न मिलता है. वहीं, अगर सेविंग अकाउंट में पैसे रखने के बजाए दूसरी योजनाओं में निवेश कर दें तो आपको सालाना ज्यादा रिटर्न मिलेगा.
एक्स्ट्रा चार्जेज (Extra Charges)
कई अकाउंट होने से आपको हर अकाउंट के लिए सालाना मेंटेनेंस फीस और सर्विस चार्ज देने पड़ते हैं. इसके अलावा बैंक आपसे क्रेडिट और डेबिट कार्ड जैसी अन्य बैंकिंग सुविधाओं के लिए भी पैसे चार्ज करता है. इससे आपको काफी पैसों का नुकसान उठाना पड़ता है.
क्रेडिट स्कोर पर असर (Impact on Credit Score)
अगर आपके एक से ज्यादा इनएक्टिव अकाउंट हैं तो इससे आपके क्रेडिट स्कोर पर भी खराब असर पड़ता है. आपके अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस मेंटेन नहीं होने के चलते आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता है. इसके चलते आपको बैंक से लोन मिलने में दिक्कत हो सकती है.
टैक्स भरने में दिक्कत (Difficulty in Filing Taxes)
अगर आपके पास एक से ज्यादा बैंकों अकाउंट हैं तो इससे आपको टैक्स फाइल करते समय भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. ज्यादा अकाउंट होने पर आपको कागजी कार्रवाई में भी ज्यादा माथापच्ची करनी पड़ती है. साथ ही इनकम टैक्स फाइल करते समय सभी बैंक अकाउंट से जुड़ी जानकारियां रखनी पड़ती हैं. इसलिए उनके स्टेटमेंट का रिकॉर्ड जुटाना काफी पेचीदा हो जाता है. सभी बैंकों की डिटेल नहीं देने पर आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर में भी आ सकते हैं.
जालसाजी की संभावना (Possibility of Fraud)
एक से ज्यादा बैंक सेविंग अकाउंट होने का मतलब निष्क्रिय खाते (Dormant Account) की संभावना है. इसमें जालसाजी की संभावना सबसे अधिक होती है. ऐसा तब होता है जब एक सैलरीड व्यक्ति सैलरी अकाउंट को वहीं छोड़कर एक कंपनी से दूसरे कंपनी में नौकरी बदल लेता है. ऐसे मामले में, सैलरीड अकाउंट निष्क्रिय हो जाता है और जैसा कि पहले कहा गया है, ऐसे खातों में जालसाजी की संभावना सबसे अधिक होती है.
मैनेज करना मुश्किल (Difficult to Manage)
एक से ज्यादा अकाउंट होने से उन्हें मैनेज करना मुश्किल हो सकता है. हर अकाउंट का बैलेंस, लेनदेन और स्टेटमेंट को संभालना थोड़ा जटिल हो जाता है. आपको दो अलग-अलग स्टेटमेंट देखने होंगे और यह सुनिश्चित करना होगा कि दोनों अकाउंट में कोई गलती या कमी न हो.
कितने बैंक खाते होने चाहिए? (How Many Bank Accounts Should You Have?)
विशेषज्ञों का मानना है कि एक व्यक्ति के पास अधिकतम दो या तीन बैंक खाते होने चाहिए. उदाहरण के लिए, आप एक बैंक खाता सैलरी के लिए, एक बैंक खाता परमानेंट सेविंग के लिए और यदि जरूरत हो तो तीसरा खाता किसी विशेष उद्देश्य के लिए रख सकते हैं.
निष्कर्ष
एक से अधिक बैंक खाते होने के कई नुकसान हो सकते हैं। इसलिए, यह जरूरी है कि आप अपनी जरूरतों का आकलन करें और उतने ही खाते रखें जितने आपके लिए जरूरी हों। यदि आपके पास ऐसे खाते हैं जिनका आप उपयोग नहीं करते हैं, तो उन्हें बंद कर देना बेहतर है।
Disclaimer: यह लेख विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। बैंक खातों और वित्तीय मामलों से जुड़े किसी भी निर्णय से पहले, वित्तीय सलाहकार से परामर्श करना उचित है। वित्तीय नियम और नीतियाँ समय-समय पर बदल सकती हैं, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करना महत्वपूर्ण है।